अनुज अनुपमा से कहता है कि मेरा मन
ऑफिस जाकर काम करना करने का हो रहा है
इस पर अनुपमा अनुज से कहती है की नामकरण
के बाद चलेंगे और अनुपमा अनुज को गुदगुदी करती
है और वह फिसल जाता है। अनुपमा उसकी मदद करने
लगती है। अनुज अनुपमा को वनराज के साथ अनुष्ठान
करते हुए याद करता है और अचानक चिल्लाता है
कि उसे किसी की मदद की जरूरत नहीं है।
अनुपमा डरती है और उससे माफी मांगती है।